यहां मिल रहा है सिर्फ 2 रुपये में मास्क कोरोना वायरस के हाहाकार के बीच

 नई दिल्ली। कोरोना वायरस के डर से हर किसी के मन में डर और बैठ गया है. वायरस से बचाव के लिए लोग मास्क और सेनिटाइजर की जमकर खरीद कर रहे हैं. लोगों द्वारा जरूरत से अमित सारी और काला अधिक खरीदारी और कालाबाजारी की वजह से मास्क और सेनिटाइजर बाजार से गायब हो चुके हैं. दोनों ही उत्पादों की उपलब्धता को सनिश्चित करने के लिए सरकार ने पिछले दिनों ही लोगों दोनों वस्तुओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल करने का फैसला लिया है. हालांकि मास्क की ज्यादा कीमत को देखते हुए - एक दुकानदार ऐसा भी है जो कि इसे सिर्फ 2 रुपये में बेच रहा है. कटकानदार ऐसा भी है जो कि इसे सिर्फ 2 रुपये में बेच रहा है. क केरल के एक सर्जिकल स्टोर ने तय किया है कि मास्क को 2 रको रुपये में बेचा जाएगा. यह स्टोर 2 दिन में 5 हजार से ज्यादा मास्क बेच चका है. स्टोर अस्पताल के कर्मचारियों और छात्रों को खासतौर पर इन मास्क को उपलब्ध करा रहा है. मीडिया रिपोर्टस खा. के मुताबिक कोचीन सर्जिकल्स के को-ओनर थसलीम पीके का कहना है कि हमारा स्टोर पिछले 8 साल से 2 रुपये की कीमत पर मास्क की बिक्री कर रहा है. गौरतलब है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते बाजार में मास्क और सेनिटाइजर की अनुपलब्धता को देखते हुए मोदी सरकार ने इन दोनों वस्तुओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल करने का फैसला लिया है. केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा पिछले हफ्ते जारी एक बयान में कहा गया था कि विगत कुछ सप्ताहों के दौरान कोविड-19 (कोरोना वायरस) के मौजूदा प्रकोप और कोविड-19 प्रबंधन के लिए लॉजिस्टिक संबंधी चिंताओं को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है क्योंकि मास्क (2 प्लाई एवं 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन95 मास्क) और हैंड सैनिटाइजर या तो बाजार में अधिकांश विक्रेताओं के पास उपलब्ध नहीं है या बहुत अधिक कीमतों पर बमुश्किल से उपलब्ध हो रहे हैं. मंत्रालय के बयान के अनुसार , सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की अनुसूची में संशोधन करते हुए, मास्क और सनिटाइजर को दिनांक 30 जून, 2020 तक आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु के रूप में घोषित करने का आदेश दिया है. सरकार ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत एक एडवाइजरी भी जारी की है. आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, राज्य, विनिर्माताओं के साथ विचार-विमर्श करके उनसे इन वस्तुओं की विनिर्माताओं उत्पादन क्षमता बढ़ाने, आपूर्ति श्रृंखला को सुचारु बनाने के लिए उत्पादन क्षमता कह सकते हैं जबकि विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत   दोनों वस्तुओं की अधिकतम खुदरा मूल्य (एम.आर.पी.) पर बिक्री सुनिश्चित कर सकते हैं.